विद आउट मैन (कहानी संग्रह)
लेखिका: गीता पंडित
मैं ज्यादातर समय से पढ़
नहीं पा रहा था.. इस किताब के शीर्षक ने मुझे थोडा आकर्षित किया तो पढने से खुद को
रोक नहीं पाया और अपनी बहुत ज्यादा व्यस्त दिनचर्या से भी वक़्त निकल के पढ़ ही
डाला..
इस किताब में कुल 8
कहानियां हैं, और हर एक कहानी किसी न किसी महिला के जीवन की घटना (काल्पनिक) है..
1.
विद आउट मैन: इस कहानी में
एक ऐसी महिला कि कहानी है जो बिना शादी किये, जीवन जीना चाहती है और माँ भी बनना
चाहती है.. लेखिका ने इसे काफी मनोयोग से लिखा है.. और कहानी सीधे दिल पर असर करती
है..
2.
फेसबुकिया मॉम: इस कहानी
में महिलाओं पर अत्याचार और फेसबुक का मिश्रण पेश करने की कोशिश की गयी है, मुझे
लगता है कि लेखिका को फेसबुक का शायद बहुत ज्यादा अनुभव नहीं हैं, शायद इस कारण से
कहानी में कुछ झोल पैदा हो गया है और कहानी वो असर नहीं छोड़ पाती..
3.
मसीहा: एक ऐसी स्त्री की
कहानी है जो दूसरी बेसहारा महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काम कर रही है
और पूरा जीवन ऐसे ही बिताने के इच्छा रखती है..
4.
आदम और ईव: कहानी एक कटाक्ष
हैं समाज में उपस्थित अंधविश्वासों पर जहाँ कुछ भी गलत होने पर किसी न किसी पर
ठीकरा फोड़ दिया जाता है, कहानी के अंत में लेखिका ने बहुत गुस्सा कागजों पर उकेरा है
और वो बिलकुल उपयुक्त भी लगता है..
5.
एक और दीपा: यह कहानी एक
प्रेम कहानी है पर मुझे कुछ अधूरी सी लगी है, नायक नायिका में प्यार होता है और
नायिका इस कशमकश में है कि नायक उसे अपनाएगा या नहीं. कहानी में जो twist है वो
बाद में गीला पटाखा साबित होता है.. अगर कहूँ कि यह कहानी कुछ misfit है इस संकलन
में, तो कुछ गलत नहीं होगा..
6.
अजनबी गंध: यह कहानी भी एक
कटाक्ष ही है उस समाज पर जहाँ बिना सोचे समझे जादू टोने किये जाते हैं, बिना उनकी
जरुरत को समझे. बिना यह समझे कि यह कितना दर्दनाक हो सकता है..
7.
मुड़ी-तुड़ी कागज की पर्ची:
अक्सर हमें बच्चों पर होने वाले यौन उत्पीडन की ख़बर मिलती है, कहानी में ऐसी ही एक
लड़की की कहानी है जो ऐसे जाल में फंसते फंसते रह गयी.. कहानी हमें यह भी समझती है
कि बच्चों को असली खतरा कहाँ से होता है.. कहाँ पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत
है..
8.
ऐसे नहीं: कहानी एक ऐसी
स्त्री की है जिसके पति ने कभी अपने घरवालों को अपनी शादी के बारे में नहीं बताया
है और उसकी अचानक से असमय म्रत्यु हो जाती है.. अब वो स्त्री क्या करे आगे.. कहाँ
जाय.. कहानी की शुरुआत सही है पर अंत में अचानक से ख़त्म कर दी गयी लगती है..
पूरी किताब को अगर देखा जाए
तो एक दो कहानियों को छोड़कर, बाकि सभी कहानियां असरदार है और अपना प्रभाव छोडती
हैं. कुछ कहानिया अगर थोड़ी सी और लम्बी (बस 1-2 पेज और) होती तो शायद और ज्यादा
बेहतर हो सकती थी.. कहानियों में अलग अलग काल्पनिक महिलाओं को दिखाया गया है और
कहानियों के विषय में विविधता है. उम्मीद है कि भविष्य में लेखिका से और अच्छी
कहानियां पढने को मिलेंगी..
रेटिंग: 3 out of 5